Friday 15 November 2019

धरती आबा - बिरसा मुंडा

   बिरसा मुंडा भारत के एक महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और लोक नायक थे, जिनकी ख्याति अंग्रेजो के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम मे काफी हुई थी। उन्होंने ब्रिटिश शासन, जमींदारों और महाजनों के विरूद्ध आंदोलन किया, जिसे बिरसा उलगुलान के नाम से जाना जाता है । केवल 25 वर्ष के जीवन मे उन्होंने इतने मुकाम हासिल कर लिए थे कि आज भी भारत की जनता उन्हें याद करती है और भारतीय संसद में एक मात्र आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का चित्र टंगा हुया है ।
    बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर, 1875 को खूंटी जिले के उलिहातु गाँव मे हुआ था । बिरसा के पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी हटू था ।
 
  
   उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ नारा दिया ' रानी का शासन खत्म करो और हमारा साम्राज्य स्थापित करो '। अंग्रेजो ने आदिवासी नीति मे बदलाव किया जिससे                आदिवासियों को काफी नुकसान हुआ था । 1895 मे लगान माफी के लिए उन्होंने आदिवासियों एवं स्थानीय लोगों का नेतृत्व कर अंग्रेजो के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया था । वे ' बिरसायत संप्रदाय ' के प्रवर्तक थे । बिरसा मुंडा ने सन् 1900 मे अंग्रेजो के विरुद्ध विद्रोह करने की घोषणा करते हुए कहा --" हम ब्रिटिश शासन तंत्र के विरुद्ध विद्रोह करने की घोषणा करते हैं और कभी अंग्रेजो के नियमों का पालन नहीं करेंगे "। अंग्रेज सरकार ने बिरसा की गिरफ्तारी पर 500 रूपए का इनाम रखा था ।
  अंग्रेजी सरकार ने विद्रोह का दमन करने के लिए 3 फरवरी 1900 को मुंडा को गिरफ्तार कर लिया, जब वे अपनी गुरिल्ला सेना के साथ जंगल मे सो रहे थे । उस समय 460 आदिवासियों को भी उनके साथ गिरफ्तार किया गया । 9 जून, 1900 को रांची जेल में उनकी रहस्यमय तरीके से मौत हो गई और अंग्रेजी सरकार ने मौत का कारण हैजा बताया था, जबकि उनमें हैजा का कोई लक्षण नहीं थे । केवल 25 वर्ष की उम्र मे उन्होंने ऐसा काम कर दिया कि सभी भारतीय उनको याद करते हैं ।

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