सोहराई भारतीय राज्यों झारखंड , बिहार , छत्तीसगढ़ , ओडिशा और पश्चिम बंगाल का त्योहार है । यह एक फसल उत्सव है जो सर्दियों के फसल के मौसम की शुरुआत में आयोजित किया जाता है। यह झारखंड के सदान और आदिवासी द्वारा मनाया जाता है ।
यह अक्टूबर-नवंबर के महीने में कार्तिक के अमावस्या को मनाया जाता है । कुछ क्षेत्रों में इसे मध्य जनवरी में भी मनाया जाता है। कार्तिक आमवस्या को जब हिन्दू , बौद्ध और जैन धर्मावलम्बी दीपोत्सव मनाते है ,तब यहां सोहराई मनाया जाता है। इसमें सभी पशुओं को नहलाया - धुलाया और गौशाला को सजाया जाता है। गौशाला के मार्ग में रंगों से अल्पना बनाकर पशुओ को उसमे आदर सहित प्रवेश कराया जाता है।
रात्रि में उनके सींगों पर तेल और सिंदूर लगाते है और काली मुर्गी या सूअर की बलि देते है। अगले दिन गौशाला जाकर रंगुआ मुर्गे ( बांगने वाला मुर्गा,) की बलि दी जाती है इसके बाद हंडिया का तपान दिया जाता है। पशुओं के लिए अनाजों से तैयार ' पखवा ' खिलाया जाता है और इसे लोगों द्वारा प्रसाद रूप में खाया जाता है। दोपहर को बरध खूंटा( पशु दौड़ ) को आयोजन किया जाता है।
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